जो माना हो मुझे आशिक तेरा.....
मेरी कब्र पर आकर तू अश्क न बहाना....
मेरे जीते जी जो मैं पा न सका...
मर कर उसे पाने का ख्वाब न दिखाना.....
समझी नहीँ मेरे अल्फाजो को तब....
अब उन्हे समझ कर मुझे न तड़पाना....
बड़ी मुश्किल से रोकता हूँ खुद को....
मेरे सोए हुए अरमानों को तू न जगाना....
नही देख पाता तुझे मैं यूँ रोता....
तू दोबारा लौटकर मेरी कब्र पर न आना....

- बेक़सूर