मेरे साथ ये जिंदगानी बिताने के ख्वाब बुनती कोई.... मेरे साथ बैठकर बस मेरी खामोशी को सुनती कोई... दिलाती यकीन के , हूँ मैं भी प्यार करने के क़ाबिल.... ख्वाइश थी के मुझे,बस मैं होने के लिए चुनती कोई...
जबसे जुबां नज़्म,आंखें आपकी शराब हुई होंगी... जानें कितनों की नींदें उस रोज से खराब हुई होंगी... अंदाजा लगाएं भी तो,क्या लगाएं उसकी शामों का.. जिसकी सियाह जिंदगी का आप चराग हुई होंगी....
होती हैं कुछ लड़कियां जो यूं तो ज्यादातर सजती संवरती नहीं बस आंखों के तले अनमने बना लेती हैं काजल की पतली लकीरें और उसी में दे देती हैं पनाह सुकून की तलाश में बरसों से भटकती किसीकी बेचैन नजरों को