इक नई सुबह
एक नए सफ़र की
शुरुआत
लेकर आती है-
आइए मिलकर एक नया रिश्ता बनाय कुछ आपसे सीखें कुछ आपको... read more
ग़लत वो भी नहीं था
चाहता सब कुछ हार कर उसे जीत लेता
मगर उसमें शक्ति ही नहीं थी
साथ देने की-
तुझे खोकर कभी सो ना पाया रातों में
जब नींद भी आई तो वो भी आई दिन के ख़्वाबों में-
अब तुमसे मुहब्बत तो है आज भी
लेकिन अगर मुलाक़ात हुई कहीं
न तुम पहचानना न मैं
गुज़र जाना इक ख़्वाब की तरह
क्यूंकि तुमसे नफ़रत है
आग की तरह-
इक आहट से होती तेरे फिर से आने की
जागते ही याद आते है तू तो है किसी और की 🌸-
मौत को आना ही एक दिन
हम मिलकर झगड़ों को खत्म करें
ना तुम मिलोगे कभी दोबारा न हम मिलेंगे दोबारा
चलो साथ चलकर नया मौत से ही इश्क़ करते हैं 🌸-
आजकल ख्वाबों में ही उनसे मुलाक़ात हो जाती है
बिन कहे बिन पूछे ही सारी बात हो जाती है
अधूरा हो गया हूँ तुम्हारे जाने के बाद
लेकिन ख़्वाब में ही सारी तन्हाई मिट जाती है-
तेरे दिये सितम को हम प्यार समझ बैठे
तेरे इंतज़ार के हर पहर को ख़्वाब समझ बैठे
तुम्हें तो दूर जाना ही था
मैं ही ग़लत था जो इसे इंतज़ार समझ बैठे
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तेरे दिये सितम को हम प्यार समझ बैठे
तेरे इंतज़ार के हर पहर को ख़्वाब समझ बैठे
तुम्हें तो दूर जाना ही था
मैं ही ग़लत था जो इसे इंतज़ार समझ बैठे
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