22 APR 2018 AT 18:08

एक दिन ज़िन्दगी यूँ थम जायेगी
टूट के इस कदर यूँ बिखर जायेगी|
माँ,बाप बिना
एक दिन भी अंधेरा यूँ छा जायेगा
और अंधेरे को भी गमगीन कर जायेगा|
माँ,बाप बिना
एक दिन वो लोरी भी याद आएंगी
सोते में हमको जगा के रुला जाएंगी|
माँ,बाप बिना
एक दिन दो कदम हम ना चल पाएंगे
सहारा मिलने पर भी हम यूँ गिर जाएंगे|
माँ,बाप बिना
एक दिन वो रातें भी गुम हो जाएंगी
ज़िन्दगी ज़िन्दगी अब ना रह जायेगी|
माँ,बाप बिना
एक दिन तो दुआ भी ना काम आएगी
दुआ भी एक दर्द बनकर सता जायेगी|
माँ,बाप बिना
एक दिन हमको मृत्यु भी पसंद आएगी
रूह भी अलग होकर हमें यूँ तड़पाएगी|
माँ,बाप बिना

- अभिषेक कुमार शुक्ल आज़ाद