मज़हबी किताबों में दबा रह गया वो इश्क़जिसकी कसमें मंदिरों मस्जिदों में खाया करते थे - Abhishek Kamboj
मज़हबी किताबों में दबा रह गया वो इश्क़जिसकी कसमें मंदिरों मस्जिदों में खाया करते थे
- Abhishek Kamboj