मुराद ए इश्क़ दिल मे लिए फिरता है। ये आंशिक भी कमाल किये फिरता है। दर दर पे इश्क़ की नामज़ अदा किये फिरता है। मुलाक़्क़त-ऐ- मेहबूब की हसरत लिए फिरता है। ये आशिक़ भी मुकमल-ऐ- मौत की आरज़ो लिए फिरता है।
जरा सम्भल कर चलिएगा ये राहे इश्क़ आसान नज़र आती है। यही सोच के यहां कई हस्तियां चली आती है। थोड़ा चल के पता चलता मंजर इश्क़-ए-राहो का पग पग पे ना जाने कितने आशिको की कबर नज़र आती है।
कोई तरकीब लगाओ यारो। मुझे मुझसे मिलाओ यारो। अरसा होआ खुद से मुलाकात किये। इन् यादो के कब्रिस्तान से बचाओ यारो। दफ्न होता नही मेरे जेहन से वो शख्श । कोई तोह मेरी चिता लगाओ यारो। इन् यादो के कब्रिस्तान से बचाओ यारो।
कभी बैठो मेरे पास कुछः दिल-ए-हाल सुनाएँगे, कैसे गुजारी है एक एक रात तुमकों बतायेंगे, दिल आज भी तेरी यादों के सहारे धड़कता है कितनी राते इसको मानने में गुजारी है ये दिखायेंगे कभी बैठो मेरे पास कुछः हाल-ऐ-दिल सुनाएंगे।