Abhishek Awasthi   (ग़ुमनाम)
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Joined 22 October 2017


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28 MAR 2023 AT 18:26

बहोत दूर निकल जाता हूं मैं कुछ ढूंढने की आस में
और थक कर रो पड़ता हूं खुद की तलाश में....

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15 NOV 2022 AT 0:45

क्या मिलता है खुश रहकर,
मैंने गम में रहकर बहोत कुछ सीखा है

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23 APR 2022 AT 23:25

बहुत बार देखा था मैंने भी अपने दरवाज़े से झांक कर
पर सिर्फ तेरे घर की खिड़की ने ही मेरे आंसू देखे थे

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18 JAN 2022 AT 23:52

लफ्जों की तो जरुरत ही नही पड़ती
मेरी ये आंखें ही काफ़ी है किसी को अपना बनाने के लिऐ

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3 FEB 2021 AT 13:46

मेरी आंखो के पर्दे फटने लगते हैं
यूं खुली छत पे तुम अपने बाल ना सुखाया करो

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16 JUN 2020 AT 10:50

इस नफरत भरी दुनिया में
अपनी मोहब्बत ढूंढ रहा हूँ
दो के होते हुए भी
मै तीसरी ढूंढ रहा हूँ

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10 JUN 2020 AT 20:17

जिस तरह जिदंगी जीने के लिए सांस लेना जरूरी है
उसी तरह जीतने के लिए मुस्कुराना जरूरी है

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12 APR 2020 AT 19:15

😊😊☺☺☺

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2 APR 2020 AT 17:27

मेरे इश्क की इबादत हो तुम
थ जुबां से निकली हुई कहावत हो तुम
मेरे दिल के पन्नों पे लिखी मोहब्बत हो तुम
और इस ग़ुमनाम के नाम की ताकत हो तुम
मेरे होठों पे गुलों सी खिली मुस्कराहट हो तुम
मेरी तड़पती हुई रूह की राहत हो तुम
मेरे हर अंग की बेपनाह चाहत हो तुम
अब क्या बतायें कि क्या क्या हो तुम..
तुम्हें देखकर कर ही मर जाऊँ
ख़ुदा की ऐसी बनावट हो तुम

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25 MAR 2020 AT 21:34

हर चुनौती से भिड़ जाऊँ साहस का ऐसा वीर हूँ मैं
अर्जुन के धनुष से निकला मर्यादा का तीर हूँ मैं
गीता के श्लोकों का ओजस्वी संगीत हूँ मैं
और इस भारत का गुलों सा खिला कश्मीर हूँ मैं

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