राम हमारे प्राण, राम हमारी शक्ति, राम ही हमारा अभिमान है।
"राम से है सब कुछ जगत में", राम पर तो सब कुछ क़ुर्बान है।
राम जीवन, राम तन-मन, राम ही मेरी संपत्ति राम मेरा धन है।
राम से ही है शाश्वत हर एक कण-कण, राम ही मेरा जीवन है।
राम प्रेम है, राम "मर्यादा" है, राम मेरे इस जीवन का आधार है।
राम है तो सब खिलखिलाता है, राम बिन सर्वस्व "निराधार" है।
राम है तो विपदा कुछ भी नहीं, जो राम है तो सब कुछ सुंदर है।
बाहर कहाँ ढूँढते फिरते हो मेरे राम को, राम हम सबके अंदर है।
राम कर्म है, राम कर्तव्य है, वचन है, राम स्वपत्नी का सम्मान है।
राम से ही तो जगत में सुरक्षित सभी जीव का "आत्मसम्मान" है।
राम देव है, राम पुरुष है, राम "देवपुरुष" का जीवंत उदाहरण है।
राम यहाँ है, राम वहाँ, राम "सर्वत्र विद्यमान" हैं, निर्मल उच्चारण है।
राम की लीला "अपरंपार" है "अभि" राम से हमारा संबंध पितृय है।
राम के बारे में मैं क्या कहूँ, बस इतना जान लो वो "अद्वितीय" है।
-