Dr. Abhinay Agrawal   (न्यायग्र Dr.Abhi)
454 Followers · 352 Following

BAMS, MD(Ayu), CFAID
DOCTOR, Tutor

सच की शब्दों में बयाँ करने का शौक़ीन।।
Joined 14 November 2017


BAMS, MD(Ayu), CFAID
DOCTOR, Tutor

सच की शब्दों में बयाँ करने का शौक़ीन।।
Joined 14 November 2017
18 DEC 2023 AT 16:46

हर बार जो मैं हूं नही वो बन नहीं सकता,
मेरे दिल में भी ख़लिश तो चलती है..
थोड़ा तो समझो मुझे भी कही पर
या ये भी मेरी ही गलती है...

हर चीज का मेरे पास कोई जवाब नही,
जो मैं पूछने पर तुम्हे बता सकूं
खुद को कभी बगल में रख मुझे भी सोचो,
कमी मुझे भी तुम्हारी कभी तो खलती है,


-


11 DEC 2023 AT 9:12

सब्र की सादगी को कभी साज़ कीजिए..
मूक होकर भी कभी आवाज़ कीजिए.

जब लगने लगे अंधेरे में घिरी जिंदगी..
नजर उठा कर सूरज देखिए नाज़ कीजिए।।।

-


17 JUL 2023 AT 23:56



शब्दो का युग शांत हुआ शब्दो मे क्या व्यक्त करू,
ईर्ष्या जग में इतनी फैली केसे सबको तृप्त करू।

इंसान हुआ यंत्रमानव और यंत्रमानव इंसान हुआ,
ऐ सुकूं तू बता मैं केसे तेरा बंद-ओ-बस्त करू।।
(न्यायग्र)




-


8 NOV 2022 AT 1:14

तुमको जबसे देखा है बस हड़बड़ में दिल रहता है,
बारिश की हर बूंद में और पतझड़ में दिल रहता है।।
तेरी हर उलझन और खुशी मुझसे होकर जाती है,
दिल तेरी परछाई में और कण कण में रहता है।।

-


17 AUG 2022 AT 1:51


वस्त्र चाक कर दिये जिस्म तार तार कर दिया,
ऐ खुदा यह बता क्यू इंसान इतना खूंखार कर दिया।

हवस मे चली आंधी इतनी तेज़ थी सब जला गयी,
हर एक ज़र्रा जिस्म का बेहरहमी से अंगार कर दिया।

अपनों की लाशें इर्द गिर्द; निवस्त्र जिस्म पर ख़रोचे थी,
क्यू जीवन यूँ अंधकार सा और बेज़ार कर दिया।।

उम्मीद रहे कैसे इन्साफ के खोखले कठघरे से,
आये रूह के छाले को दुनिया ने अखबार कर दिया।।

साल कुछ निकले ही थे , अभी तोह घाव भी जीर्ण ही थे,
जिस्म के सौदागरो को तिरंगे तले फरार कर दिया।।
(न्यायाग्र)



-


15 AUG 2022 AT 10:22

वतन से बैर करने वालो थोड़ी खुद से लाज़ करो,
वीरों ने जो कल किया था,शीश झुका कर आज करो।

यह देश है खुद मे संपन्न,एकता से खिल जाना है,
इस धरती से ही जन्मा है,धरती मे ही मिल जाना है।।
(न्यायाग्र)

-


20 JUL 2022 AT 11:58

चंद गुब्बारे कभी आसमान मे छोड़ कर देखो
किसी मुस्कान की चादर कभी ओढ़ कर देखो।

वो सुकूँ जो कभी मिला नही, ना मिले तोह कहना,
किसी की बिखरी उम्मीदें जोड़ कर देखो।।
(न्यायग्र)




-


19 JUL 2022 AT 11:35

शराफत सियासत मे सजती नही,
बेईमानी दरिंदगी का बोल बाला है,

झूठ से सब मिलता है बाज़ारो मे,
महंगा बस ईमानदारी का निवाला है।।
(न्यायग्र)


-


17 JUL 2022 AT 23:59



एक बूँद इंसानियत सौ गुनाहो को पार करती है,
एक रौशनी ही हे जो अंधेरे को लाचार करती है।

जुर्म की आंधियां कितनी ही चले बदलते संसार मे,
यहाँ रूह वो अब भी बसती है जो पत्थर से भी प्यार करती है।।

यह लोहा बारूद ख़ंजर सब खोखला कर सकती है,
प्यार की भावना ही इंसान को औज़ार करती है।

मोम की सी तोह सीरत रखती थी यह दुनिया,
एक मछली ही पूरे तालाब को बीमार करती है।

एक ही खाट पर जगह बना कर सो जाया करते थे,
यह ईर्ष्या ही हे जो घरों में दिवार करती है।

जहाँ मिले मौका तोह मदद करो एक दूजे की,
अपनेपन की डोर ही दुनिया को घर बार करती है।।
(न्यायग्र)




-


1 JUL 2022 AT 22:10



हवा भी बिना दाग़ के अब कहाँ पर चलती है?
अपनेपन की सादगी अब थोड़ी सी खलती है।

सफ़ेद रंग भी थोड़े से भदरंग नज़र आते है,
रेत पर चलने वाली दुनिया काँच पर मानों चलती है।।

एक दूजे की पग की लाठी अब कम हीं बनते है,
दिलो के कोनो मे ईर्ष्या जो लोगो मे पलती है।।

किस मोड़ पर आयी है दुनिया बीतें कुछ सालों मे,
आभूषण लेकर चलने वाली महिला छुरी लेके चलती है।।

पैसे की चकाचौंध ने इतना अंधा कर दिया,
हर रोज़ इसी चक्कर मे कितनी जानें जलती है।।

मलहम उनका बन जाओ दुनिया के इस दौर मे,
पानी मे उँगलियाँ जिनकी हर रोज़ गलती है।।
(न्यायग्र)






















-


Fetching Dr. Abhinay Agrawal Quotes