मुकां ओझल है कोहरा गाढ़ा बहुत है ,ऐ आग जलो न भीतर अभी थोड़ा और बाहर जाड़ा बहुत है !!/ - @भी
मुकां ओझल है कोहरा गाढ़ा बहुत है ,ऐ आग जलो न भीतर अभी थोड़ा और बाहर जाड़ा बहुत है !!/
- @भी