आदमी टूटा हुआ सा साज़ है, धड़कनें क्यों इस कदर नाराज़ हैं? किसने छिना है लबों से लफ्ज़ तारी,किसने पैदा की दिलों में बेकरारी? #ओजस - अभिजीत जनार्दन
आदमी टूटा हुआ सा साज़ है, धड़कनें क्यों इस कदर नाराज़ हैं? किसने छिना है लबों से लफ्ज़ तारी,किसने पैदा की दिलों में बेकरारी? #ओजस
- अभिजीत जनार्दन