आईना दिखाने को तमाशबीन उठ खड़े हुए
एक और गुनाह छुपाने को जज खड़े हुए...!-
ABHAY
(Aनभिज्ञ Aभय)
40 Followers · 92 Following
Joined 24 February 2020
15 OCT 2022 AT 16:45
कभी फ़रेब करना भी तो सिखा ए ज़िंदगी,
सुना है बहुत जरूरी है तुझे जीने के लिए..!-
9 OCT 2022 AT 22:04
जिस्मों से भरे शहर में मेरी रूह को हवा कर दे,
उनकी खिड़की के दरख़्त का मुसाफिर कर दे,
न रजा कोई की उनसे उनको दूर करूँ मैं
आवारा बादल मैं! उनकी धूप का छांव कर दे..!-
24 AUG 2022 AT 21:36
वो पीर में बैठा पपीहा
प्यास उसकी नीर है,
आशा भरे उन मेघ तले
हृदय में दुविधा प्रवीण है,
क्या मिल सकेगी वो बून्द
उसकी इच्छा प्राचीन है,
जानता है निष्कर्ष इसका
फिर भी अनभिज्ञ है..!-
12 AUG 2022 AT 22:01
किस्मत उनकी भी है जिनके लकीरें नहीं,
एहसास उनके भी है जिनकी जुबां नहीं,
ख़्वाब उनके भी है जिनकी आँखे नहीं,
फिर बराबर सबको मिलता क्यों नहीं...?-