तेरी आँखों में छुपी हैं ख़्वाहिशे मेरी,नजरें मिला के जरा इन्हें पूरा तों कर दों। -
तेरी आँखों में छुपी हैं ख़्वाहिशे मेरी,नजरें मिला के जरा इन्हें पूरा तों कर दों।
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गिर कें जब भी उठा हूँ तुफानों में,अंधेरे हीं मिले हें रहों में।गर् ना गुज़रता गर्दिशो से,तो मिलते नहीं सितारे मंजिलों से। -
गिर कें जब भी उठा हूँ तुफानों में,अंधेरे हीं मिले हें रहों में।गर् ना गुज़रता गर्दिशो से,तो मिलते नहीं सितारे मंजिलों से।
जुबां दर्द-ए-दिल को मिलती थीं तेरे अल्फ़ाज़ो से 'राहत', गम़-ए-दिल बयां करने के लिए अब हर्फ़ भी नदारद से हो गए हैं। -
जुबां दर्द-ए-दिल को मिलती थीं तेरे अल्फ़ाज़ो से 'राहत', गम़-ए-दिल बयां करने के लिए अब हर्फ़ भी नदारद से हो गए हैं।
ना कोई दिन था और ना ही कोई धरम थाशायद ये ही इंसान का करम थाना कोई ख़ुदा था और ना ही कोई बन्दा थाशायद ये नहीं कुदरत को मंजूर था -
ना कोई दिन था और ना ही कोई धरम थाशायद ये ही इंसान का करम थाना कोई ख़ुदा था और ना ही कोई बन्दा थाशायद ये नहीं कुदरत को मंजूर था
शोर इस कदर मचा चुकी हैं ख़्वाहिशे मेरी,की अब सुकून मिलता है ख़ामोशियों में मुझे। -
शोर इस कदर मचा चुकी हैं ख़्वाहिशे मेरी,की अब सुकून मिलता है ख़ामोशियों में मुझे।
वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब होती थीं सुबह उनके दिदार सेऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है कि बैठें हे तरसते उनकी एक झलक को।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब सोहबत मे उनके गुज़रता था दिनऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है कि तड़प रहे हे उनके साथ को।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब इंतजार करते थें शाम ढलने काऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है जब शाम ना जाने कब गुज़र जाती है उनके ख्याल मे।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब छोटी लगती थीं रातें उनकी बातों मेंऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है जब लंबी लगती हैं रातें उनके एक पैगाम के इंतजार मे। -
वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब होती थीं सुबह उनके दिदार सेऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है कि बैठें हे तरसते उनकी एक झलक को।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब सोहबत मे उनके गुज़रता था दिनऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है कि तड़प रहे हे उनके साथ को।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब इंतजार करते थें शाम ढलने काऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है जब शाम ना जाने कब गुज़र जाती है उनके ख्याल मे।वो वक़्त भी क्या वक़्त था जब छोटी लगती थीं रातें उनकी बातों मेंऔर ये वक़्त भी क्या वक़्त है जब लंबी लगती हैं रातें उनके एक पैगाम के इंतजार मे।
ख़्वाहिशों का पूरा होना अभी बाकी हैं,साथ तेरा मिलना अभी बाकी हैं,रास्ते तों तय है मगर मंजिलों का मिलना अभी बाकी हैं। -
ख़्वाहिशों का पूरा होना अभी बाकी हैं,साथ तेरा मिलना अभी बाकी हैं,रास्ते तों तय है मगर मंजिलों का मिलना अभी बाकी हैं।
हम साथ थें तो खुशफहमीया थींदूर क्या हुए गलतफहमीया बढ़ गई। -
हम साथ थें तो खुशफहमीया थींदूर क्या हुए गलतफहमीया बढ़ गई।
छोड़ दिया बहार ने भी मुझे सुखा हुआ पत्ता समझ कर तों हवा भी उडा ले गई चमन से मुझे बेकार मान कर।पहुँचा जब अंधेरी सडकों पर गिरते हुए तो दुनिया ने भी रोंद दिया मुझे नाकारा कह कर।जब चकनाचूर हो गये सारे होंसले मेरे तब दिल का गुब्बार निकला मेरा वजूद मिटा कर। -
छोड़ दिया बहार ने भी मुझे सुखा हुआ पत्ता समझ कर तों हवा भी उडा ले गई चमन से मुझे बेकार मान कर।पहुँचा जब अंधेरी सडकों पर गिरते हुए तो दुनिया ने भी रोंद दिया मुझे नाकारा कह कर।जब चकनाचूर हो गये सारे होंसले मेरे तब दिल का गुब्बार निकला मेरा वजूद मिटा कर।
जिंदगी कितनी छोटी है आज समझ में आया मुझे,कितनी ख़्वाहिशें कल पर छोड़ दी इसका एहसास हुआ मुझे,जरूरतें पूरी करते रहा अब तक और जीना कभी आया ही नहीं मुझे। -
जिंदगी कितनी छोटी है आज समझ में आया मुझे,कितनी ख़्वाहिशें कल पर छोड़ दी इसका एहसास हुआ मुझे,जरूरतें पूरी करते रहा अब तक और जीना कभी आया ही नहीं मुझे।