जब कभी इन खामोश रातों में कुछ आहट सी होती है ,
अमीर चैन से सोता है, गरीब को घबराहट सी होती है ।
पैसे से ना बड़ा बेचारा , पर बिटिया बड़ी अब हो गई हैं ,
लाचार बाप के जीवन में एक नई परेशानी खड़ी हो गई है।
बिना दरवाजे के मकान को देख कर उसका जी भी जलता हैं ,
कांप जाता हैं वो तब जब कोई बगल से निकलता हैं ।
पिछले कुछ सालो से उसकी नींद से खासी दूरी हैं ,
ऊपरवाला घर में बस बेटी नही ,मकान का दरवाजा भी जरूरी हैं ।।
-