Aatish Alok   (आतिश)
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Joined 7 September 2017


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6 FEB AT 4:22

मुझको इतना स्नेह न दो,
मैं नहीं लौटा सकूँगा।

पूरी कविता अनुशीर्षक में....

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9 JAN AT 13:32

चेहरे पे नूर कैसा कैसे तू इठला रहा है,
मुझको भी मालूम है तू किस से मिलकर आ रहा है।

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9 JAN AT 13:29

बेवाफ़ाई सीख ली पर जोड़ आता ही नहीं है,
पाँचवाँ है इश्क़ लेकिन दूसरा बतला रहा है।

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9 JAN AT 13:25

अच्छा तो है बहुत पर दिल में नहीं गया है
भीतर गया मगर वो उतने नहीं गया है

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9 JAN AT 13:23

मैंने मुनाफ़िक़ों को बाहर किया है खुद ही
वो शख्स ज़िंदगी से ऐसे नहीं गया है

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9 JAN AT 13:20

आज क़ब्रगाहों में हैं पड़े हुए जिनको,
लगता था ख़ुदा इक दिन आएगा बचाएगा।

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9 JAN AT 13:03

याद मेरे हरा करे कोई
क्यों तुम्हे बद्दुआ करे कोई।

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9 JAN AT 13:02

कैसे-कैसों के हाथ आई है,
इश्क़ तेरा भला करे कोई।

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9 JAN AT 13:00

बेक़ली ख़त्म होती जाती है,
ज़ख्म को फिर हवा करे कोई।

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9 JAN AT 12:58

शर्त है कत्ल हो मेरा औ' ये,
काम भी बेवफ़ा करे कोई।

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