आशीष शुक्ला   (शुक्ला_आशीष)
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अड़ियल बैरागी हूँ, जिद्दी अनुरागी हुँ।।
Joined 7 July 2018


अड़ियल बैरागी हूँ, जिद्दी अनुरागी हुँ।।
Joined 7 July 2018
14 MAR 2020 AT 21:08

तुम्हारे लिए.....

प्रेम में कोई एक व्यक्ति का समझदार होना ही काफी होता है क्यों कि अगर दोनो समझदार होगे तो किसी भी एक कि नादानियां भी चालाकियां लगने लगती है, गलती होने की उम्मीद ही नहीं होती और जब गलती ही नहीं होगी तो तकरार कैसी,?और ये तकरार ही प्यार है।
अधिक समझदारी नीरसता भी लाती है!!

रिश्ते मे बिना स्वाद के रिश्ते नही जी सकते लाश ढोने से बेहतर है उसका अंतिम संस्कार कर दें..!!💞

#जिंदगी_live

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14 MAR 2020 AT 21:06

तुम्हारे लिए.....

प्रेम में कोई एक व्यक्ति का समझदार होना ही काफी होता है क्यों कि अगर दोनो समझदार होगे तो किसी भी एक कि नादानियां भी चालाकियां लगने लगती है, गलती होने की उम्मीद ही नहीं होती और जब गलती ही नहीं होगी तो तकरार कैसी,?और ये तकरार ही प्यार है।
अधिक समझदारी नीरसता भी लाती है!!

रिश्ते मे बिना स्वाद के रिश्ते नही जी सकते लाश ढोने से बेहतर है उसका अंतिम संस्कार कर दें..!!💞

#जिंदगी_live

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14 MAR 2020 AT 21:05

तुम्हारे लिए.....

प्रेम में कोई एक व्यक्ति का समझदार होना ही काफी होता है क्यों कि अगर दोनो समझदार होगे तो किसी भी एक कि नादानियां भी चालाकियां लगने लगती है, गलती होने की उम्मीद ही नहीं होती और जब गलती ही नहीं होगी तो तकरार कैसी,?और ये तकरार ही प्यार है।
अधिक समझदारी नीरसता भी लाती है!!

रिश्ते मे बिना स्वाद के रिश्ते नही जी सकते लाश ढोने से बेहतर है उसका अंतिम संस्कार कर दें..!!💞

#जिंदगी_live

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12 MAR 2020 AT 22:05


शाम और रात के बीच एक वक्त होता है कहीं, जिसमें मन शरीर का साथ छोड़ देता है;
दिमाग के हाथ से इंद्रियों के घोड़ों का लगाम छूट जाता है।
आँखें वो नहीं देखतीं जो सामने होता है बल्कि वो देखने लगती है जो घटित हो चुका है या जिसके होने की चाह थी किंतु वो हुआ नहीं और इक बायोस्कोप सा चलता है चाह और यथार्थ के बीच❗

ऐसा क्यों होता है कि तमाम दोस्तों, रिश्तेदारों और उन सब के होते हुए, जिन पर हम सबसे करीबी होने के दावे करते हैं, मन एकांत ढूँढता है।
ऐसा एकांत जहाँ सोच में भी कोई व्यक्ति न हो, बस घटनाक्रम हो। एक के बाद एक घटनाओं का कोलाज़ चल रहा होता है; एक के बाद एक उनसे जुड़ी भावनाएँ एक-दूसरे से टकरा रही होती हैं।

ऐसा क्या होता है उस वक्त में कि आवाजें याद रहती हैं मगर शक्ल गुम हो जाती है।❗

बातें आईने की तरह बेदाग उभकर सामने आती हैं और साल-महीने-दिन सब आपस में गड्ड-मड्ड हो जाते हैं।

कुछ अधपके रिश्तों के भाप भी उँगलियाँ जलाती है लेकिन उसे एक ओर हटाकर मुँह नहीं मोड़ पाते,
एक दर्द होता है अतीत का जो अंदर ही अंदर पिघलते रहता है,जिसे न तो उगलते बनता है न ही निगलते❗

#जिंदगी_live
#अंतर्द्वंद्व

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तुम्हारी याद जब कभी आती है ,
पुरानी रिकॉर्डिंग सुन लेता हूँ,
तुम्हारी सिर्फ एक फोटो ही साथ है,
साथ है तो असंख्य स्मृति जो तुम्हारी मेरी कहानी दोहराती है,

असल मे जब तुम पर लिखने आता हूँ तब कभी काल्पनिक प्रेम के स्वांग नहीं होते❗

दिल सब बयां करता है,ये उलझन में भी सुलझी हुई बातें करता है,इसे तुम्हारे जाने का गम नहीं होता बल्कि तुम्हारे इश्क़ की खुशी होती है,
तुमसे छींट भर मैं अच्छा नहीं लेकिन जो सीख पाया,जो समझ पाया वो तुमसे है,हर वक्त तुम्हारा प्रेम मुझमे सवार था और जब तक अंत मे नहीं हो जाता,नहीं बिसर पाऊंगा...!
जिंदगी भर के लिए सलाम,सब्बाखैर रहेगा...❗
#tum_बिन

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29 FEB 2020 AT 22:09

हम !
हमे जीवन किसी के अनुसार बदलना नही होता।
हमे कोई नही बताता की किस फोटू में हम कितने प्यारे लग रहे हैं।

हमारी दुनिया घर और घरवालों में ही उलझी रहती है।
हमे रिश्तेदारों के तानों से फ़र्क़ नही पड़ता है।
हमारे पास जिंदगी सँवारने के बहाने केवल पैरेंट्स के सपने देते हैं।

हमारे पास किसी के मेसेजेस का रिप्लाय न देने का बहाना नही होता।
हम दुनिया की लीक के अनुसार थोड़े पिछड़े हो सकते हैं पर फोकस्ड इतने कि….
पूरी दुनिया हमारी नजर में होती।

बुमराह ने किस मैच में हैट्रिक ली थी।दिन तारीख और स्टेडियम तक याद होता हमे।
चेन्नई ने आईपीएल कितनी बार जीता है। हमारी जुबान पर होता है।
हमारी खुशियां बहुत महंगी नही होती।
मोहम्मद शमी की एक विकेट और रविन्द्र जडेजा का एक थ्रो हमे खुश कर देता है।

तबियत खराब होने पर हमारी केअर करने को कोई व्हाट्सएप्प मेसज नही आता।
मम्मी का 'मोबाइल छोड़ दो,तबियत सही हो जाएगी' वाला वाक्य ही हमारे लिए वरदान होता।

हमारा दिन जिम्मेदारी निभाने में गुजरता है और रातें 'प्राचीन भारत का इतिहास' रटने में।

जो भी हो जैसे भी हों।
हर जगह असफल होने के बा-वजूद….

हम एक जगह सफल रहते हैं। वो होता है माँ का प्यार और पिता का विश्वास जीतने में।

ये खुशी इतनी बड़ी होती है कि हम इसके सहारे खुश रह लेते हैं।

और गर्व से कह सकते हैं कि हमने जीवन भर किसी को छला नही या धोखा नही दिया।

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26 FEB 2020 AT 22:27

अक्सर पहली नौकरी लोग सिर्फ नौकरी करने के लिये नहीं करते...
पहली नौकरी अहसास दिलाती है कि पैसा पेड़ पे नही उगता..
पहली नौकरी बताती है कि पिताजी एक शर्ट कालर फटने तक क्यों चलाते थे..

पहली नौकरी बताती है कि तुम राजकुमार नहीं हो..
पहली नौकरी आसपास देखने का नजरिया ही बदल जाती है..
अब तुमको रिक्शेवाले, ढाबे के वेटर, डिलीवरी बॉय नहीं दिखते..
अब तुमको उनमें अपना घर चलाता एक बाप, अपने माँ बाप के लिए रोटी कमाता एक बालक
और ग्रामीण ग्रहस्ती को शहर में लाकर २ रोटी की जद्दोजहत करता आदमी दिखता है..

तुम्हें हल्का सा डर लगने लगता है..

तुम किसी ओल्ड मोंक से भीगे हुए लम्हे में सोचते हो कि कैसे भी जिंदगी एक बार फिर re -set हो जाए..
कैसे भी तुम वापस स्कूल पहुँच जाओ..
और फिर से जिंदगी से एक और चांस मांग के अब तक की गयीं अपनी गलतियों को न दोहराओ..

पर अगले ही पल अलार्म बजने लगता है..

और फॉर्मल कपड़े पहनते पहनते शीशा देख कर तुम अपना गंभीर चेहरा देखते हो..
एक पल को अपने चेहरे की गंभीरता देख कर सोचते हो कि ये जिम्मेदारी वाला लुक अच्छा तो लगता है..

फिर अगले ही पल आई-कार्ड गले में डाल कर निकल पड़ते हो..
ये सोच के कि "जो होगा वो देखा जाएगा"..

ये जो पहली नौकरी के अनुभव हैं..
यही अगली नौकरी की नींव बनेंगे..

क्यूंकि अक्सर पहली नौकरी लोग
सिर्फ नौकरी करने के लिये नहीं किया करते...
#अनुभव

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19 FEB 2020 AT 16:32

ऐसा नहीं है कि स्ट्रगल अब खत्म हो गया है..
समस्याएं ही शायद अपनी दोस्त बन गयीं हैं..

वो जो फिक्र सी थी जो हरदम लगी रहती थी..
अब जब वो फिक्र नहीं होती तो अकेलापन सा लगता है..

वो सारे सवाल अब भी वही हैं..
जिनके जवाब कॉलेज से निकलते ही ढूंढने लगे थे..
लेकिन अब जवाब ढूंढने से ज्यादा कम्फोर्टेबल
उन्हीं सवालों के साथ होने लगे हैं..

ये उम्र का वो दौर है
जब दाढ़ी में 20 प्रतिशत बाल सफेद दिखने लगे हैं..
जब शर्ट पेंट मैचिंग है या नहीं फर्क नहीं पड़ता..
जब अपने ऊपर कुछ भी खर्च बोझ सा लगने लगता है..
और तो और जिस सलून से बाल कटाते आये थे..
अब वो भी मंहगा लगने लगा है..

अपने सपनों का अपनी हकीकत से कम्प्रोमाइज करा दिया है.....।

खिलाड़ी हम अब भी वही हैं..
बस बाहर जाती गेंदों पर बल्ला लगाना छोड़ दिया है..

#unplugged

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11 FEB 2020 AT 16:26

वादा करो की चेहरे और जिस्म पर एसिड नहीं फेंकोगे। जिस चेहरे से प्रेम हुआ उसी को कुरूप करने का जश्न नहीं मनाओगे।

वादा करो कि प्रेम को धंधा नहीं बनाओगे। वो वाहियात प्रेम न करोगे की तुम्हारे प्रेम में पड़ने के बाद कोई स्त्री प्रेम नाम से थूकने लगे।

वादा करो कि सब टूट जाने के वावजूद चरित्र हनन नहीं करोगे।

वादा करो की जो रास्ते अलग हो गए तो इतने कमजोर न पड़ोगे की जीवन का अंत कर लो। जो जीवन था इसलिए मिले थे और जो जीवन रहा तो कुछ ज्यादा बेहतर मिलने का इंतज़ार कर रहा होगा।

वादा करो की प्रेम को अभिलाषाओं की दुकान न समझोगे। प्रेम उपहारों और बटुए की गहराई तक सीमित न रहेगी। कल को बटुआ रहे न रहे, प्रेम जरूर रहेगा।

वादा करो की रूप न बदल लोगे। जिस रूह से प्रेम हुआ... सदियों बाद भी वही रूह दिखता रहेगा। की इंसान जो होता है अक्सर वही दिखना नहीं चाहता। प्याज सी फितरत है हमारी, हर परत के अंदर एक और परत तैयार रहता है।

वादा करो की तुम समझोगे की किसी और को खुद के लिए जबर्दस्ती बदलना प्रेम नहीं होता।

वादा करो की जब चूक जाए प्रेम... जब नियति साथ रहने की न बन पड़े... जब मिल बैठ कर भी सब सुलझाना संभव न हो पाए... जब राहें अलग हो जाएँ... तब भूत को थोप कर बाँध रखने की जिद नहीं करोगे....

#वादा.....??
#Happy_Promise_Day

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तुम कलयुग की 'राधा' हो
तुम पूज्य न हो पाओगी...!

कितना भी आलौकिक और नैतिक
प्रेम हो तुम्हारा
तुम दैहिक पैमाने पर नाप दी जाओगी...!

तुम मित्र ढूंढोगी ,वे प्रेमी बनना चाहेंगे
तुम आत्मा सौंप दोगी ,वे देह पर घात लगाएंगे
पूर्ण समर्पित होकर भी
तुम 'राधा' ही रहोगी 'रुक्मिणी' न बन पाओगी...!


तुम कलयुग की राधा हो
तुम पूज्य न हो पाओगी...!

# #समाज_और_लोग

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