मेरा हाल तु क्या जाने ऐ 'मशी' ,में दौर के उस दौर में हूं जहां इश्क नहीं। -
मेरा हाल तु क्या जाने ऐ 'मशी' ,में दौर के उस दौर में हूं जहां इश्क नहीं।
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मैं तेरे इश्क में हूं कुछ ऐसे, जैसे,बर्फ का मुकद्दर होता है अपने ही पानी में पिगल जाना। -
मैं तेरे इश्क में हूं कुछ ऐसे, जैसे,बर्फ का मुकद्दर होता है अपने ही पानी में पिगल जाना।
बङे घर की बहू सा बन गया हूँ मैं, मुझे साँस सी लगती है तु। -
बङे घर की बहू सा बन गया हूँ मैं, मुझे साँस सी लगती है तु।
खुश मिज़ाज सा हो गया हूं, खुद को छोड में उसका हो गया हूं, हां में इश्क सा हो गया हूँ । सुबह श्याम ख्यालों में उसके रहता हूं, खुद से ज्यादा में उसमें रहता हूँ हां में इश्क सा हो गया हूँ। खुद को काम अब और कुछ रहता नहीं उसी को चाहना जो नोकरी हो गई है हां में इश्क सा हो गया हूँ । -
खुश मिज़ाज सा हो गया हूं, खुद को छोड में उसका हो गया हूं, हां में इश्क सा हो गया हूँ । सुबह श्याम ख्यालों में उसके रहता हूं, खुद से ज्यादा में उसमें रहता हूँ हां में इश्क सा हो गया हूँ। खुद को काम अब और कुछ रहता नहीं उसी को चाहना जो नोकरी हो गई है हां में इश्क सा हो गया हूँ ।
ये जो है इश्क़ के बाद की बात है, ना तुझसे पहले कुछ ना तेरे बाद कुछ । -
ये जो है इश्क़ के बाद की बात है, ना तुझसे पहले कुछ ना तेरे बाद कुछ ।
रूह नहीं कांपी तेरी, मेरे नाम की चूडियां तोड़ते वक्त,उस अफसर का हार भा गया, या उसके पैसे। -
रूह नहीं कांपी तेरी, मेरे नाम की चूडियां तोड़ते वक्त,उस अफसर का हार भा गया, या उसके पैसे।
साजिशे है ये इश्क़ के खिलाफ, ख़त्म होती है अक्सर बिस्तरों पर.. -
साजिशे है ये इश्क़ के खिलाफ, ख़त्म होती है अक्सर बिस्तरों पर..
मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है,आज कल एक हीर ने मुझे रांझा बना रखा है। -
मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है,आज कल एक हीर ने मुझे रांझा बना रखा है।
इश्क़ अगर आंखौ में है तो , नग्नता भी सुंदर और वासना भी पवित्र है। -
इश्क़ अगर आंखौ में है तो , नग्नता भी सुंदर और वासना भी पवित्र है।
प्यार में हु या तकलीफ में जानता नहीं,तेरे मिलने से अब अंदाजा धुंधला गया है। -
प्यार में हु या तकलीफ में जानता नहीं,तेरे मिलने से अब अंदाजा धुंधला गया है।