सब कुछ पा लिया तुमने,
फिर भी बहुत उदास बैठे हो,
क्या फिर से ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं
जिंदगी एक खेल हें
शतरंज से भी मज़ेदार
हारो तो भी हारना नही
अपनी ही हैरानी से....!!!
सबब तलाश क्या करे…
तुम्हरे हार जाने का
सुकून गिरवी रखे
क़र्ज़ ली थी खुशीया
आज दफन हो गई
आत्महत्या के बाद कुछँ बदला नहीं,
तुम सिर्फ आज की ताजा खबर,
एक किस्सा,
दर्द भरी कविता बन कर रहा गये मेरे दोस्त.
(आकाशमंगल Sunday 14 june)
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