18 SEP 2017 AT 13:36

उस आँधी में ना जाने क्या बात थी,
सब मिट जाने पे फिर से उठने की आस थी,
मन में तब भी संघर्ष करने की प्यास थी,
तसल्ली थी कि घर ना रहा तो क्या,
हौसलों की पतवार तो मेरे साथ थी ।

- आकांक्षा