दिन ये आख़िरी होगा तो भी इत्तिला करेंगे नही, अपना दर्द दिखा के अब परेशा करेंगे नही। आज़ाब बना दिया था हमने तेरे माज़ी को जानाँ, अब तेरे आज को हम तबाह करेंगे नही।
अच्छे के साथ अक्सर बुरा, बुरे के साथ अच्छा करता है। ऐ खुदा तू भी कैसा इंसाफ करता है? जब रखता है हिसाब इन सभी तकलीफ़ों का, तो बता कैसे फिर उसको तू माफ़ करता है?
लोगों से घिरे हो कर भी तेरा ख़्याल नही जाता, तुझे खोने का मेरे मन से मलाल नही जाता। जाने क्या कमी रह गई जो हासिल ना हुआ तू, मेरे ज़हन से अबतक ये सवाल नही जाता।
हम मौजूद हैं मैदान में तो वो टिक नही सकते, तारीफों के ख़ातिर ये उसूल बिक नही सकते। गुरूर होता है तो होने दो अपनी काबिलियत पे उनको, अब उनकी तरह फ़रेबी तो हम दिख नही सकते।
तुझे याद करते हैं ये तुझसे छुपाना सीख लिया, तेरे बाद तन्हाई को गले लगाना सीख लिया। जाते जाते जो आँसुओं से मुलाक़ात करा गया था मेरी, उन्हें आँखों में सजा के हमने मुस्कुराना सीख लिया।
एक तरफा इश्क़ में कोई उम्मीद मत रखना, कि बस एक उम्मीद तुम्हें ज़ार ज़ार कर देगी। उसे पाने की चाह में रोज़ टूटने लगोगे, मुंतज़िर बना के अपना वो मोहताज कर देगी।