उसको पाने की चाहत में
मैं खुद को भुला चुका हूँ
ना जाने यह कैसा इश्क़ है मेरा
जो है ही नही हाथो में मेरे
मैं उसकी भी लकीरे खिंचने चला हूँ
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Alfazo se kar doon zaahir mein ke ishq kinna gehra hai mera
Magr tum aankho se padh kr
Samjhne ki koshish karogi kya
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यूँ नाराज ना होया कर तू मुझसे मै तो गुस्से में यूँ ही कहता रहता हूँ फिक्र होती है मुझे तेरी आजा लौटकर वापस मैं तो हरदम युही तेरी राह ताकता रहता हूँ तेरे सिवा है ही कौंन मेरा जिसपे में जान छिड़कता हूँ बोल देता हू गुस्से में बहुत कुछ मगर प्यार भी सबसे ज्यादा तुझसे ही करता हूँ ।
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Mujhe nashe me rahene ke liye sharab ki zaroorat nhi mere liye to uski aankhe hi kaafi hai...
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चाँद, तारे, आकाश, पहाड़, नदी सारी जन्नत एक तरफ
और उसका मुस्कराता हुआ चेहरा एक तरफ-
मैं लिख दूं तुझे जो तू मुझमे यूँ बसी है।।
मैं कह दूं आंखों से की में हो गया तेरा हूँ।।
मैं ख्वाइशें पूरी कर दूं सारी जो तू मुझे मिल जाये।।-
जब तेरा हाथ मेरे हाथ मे था ना
तब मुझे लगे सारी कायनात मेरे साथ थी ना
वो राते वो बाते वो सारी मुलाकाते
वो लम्हे सारे तुझे याद है ना-
Tum samjho yeh meri akad badii
Par asal mein yeh jo baat hi nhi
Muje pata mein sajata nhi bandiyo ke liye
Par tumhe lage yeh baat sach hi nhi
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Naa jaane kesi raatein thi wo
Naa jaane kesi baatein thi wo
Jab tum mere saath the toh wo
Saari khushiyaa bhi mere saath thi wo
Naa jaane kesi baarish hui thi wo
Naa jane rab ne kya saazish rachi thi wo
Naa jaane kyu Saari kaynaat ne bhi saath chodh diya tha wo
Naa jaane kyu tum bhi mujse roothi thi wo
Naa jaane kyu tumne bhi haath chodh diya tha wo
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मोहब्बत
मोहब्बत तो तुमसे तब भी थी
मोहब्बत तो तुमसे अब भी है
मगर तुम किस्मत नही हो मेरे
फिर भी तुम्हारा साथ चाहता है दिल-