AK Mishra   (AK Mishra)
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Joined 9 April 2017


Joined 9 April 2017
30 APR 2020 AT 20:24

शिकायत तब भी थी वक़्त न था जब पास,
शिकायत अब भी है जब वक़्त पास है,
बात वक़्त वक़्त की ही तो होती है ज़नाब,
बेवक़्त जो वक़्त दे वही तो होता साथ है।

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3 APR 2020 AT 21:58

तेरी गलत फहमियाँ दूर ना हो,
तू दूर है बड़ा अच्छा लगता है,
तेरी शिकायतों का हल ना हो,
बगैर तेरे सब अब सच्चा लगता है,
तेरी जिन बेचैनियों का हल मैं हूँ,
वो तेरी बेचैनियाँ अब हल ना हो,
तेरी सारी गलत फहमियाँ सच हो,
तेरी सारी ख़िलाफ़ मेरे बातें सच हो,
तू सच हो तू पाक हो, बस साथ ना हो।

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1 APR 2020 AT 18:51

खफ़ा जो है वज़ह तो बता कमबख्त़,
किया मैंने क्या अब तो बता कमबख्त़।

समझने का मौका ही नहीं दिया तूने,
अब जो आया हूँ यूँ ना जा कमबख्त़।

गैरों से कहना मैंने सितम ढाए हैं तुझपे,
बातें कुछ मुझे भी तो बता कमबख्त़।

वो ख़ुदा मेरी गवाही देता है पूछ उससे,
जो ग़लत किया एहसास दिला कमबख्त़।

और ग़लत कह किसी को, साथ कैसे है,
बात को अपनी सही दिखा कमबख्त़।

और चेहरा अपना असली कभी दिखाया?
आजा आज असली जात दिखा कमबख्त़।

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15 MAR 2020 AT 11:36

कश और काश में
बस अंतर होता है आग का
जो आग होती काश में
तो जरूरत पड़ती नहीं कश की
जो ना होता कोई काश जिंदगी में
शायद ना होता ये कश किसी की ज़िंदगी में।

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17 DEC 2019 AT 17:17

मोहब्बत तो उनसे बेहिसाब थी ही मुझे
वो कमबख्त ही पर समझ ना पाई मुझे

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12 DEC 2019 AT 13:36

हर वक़्त हर दिन रहता है
हर पल बस ख़यालों में घर करती हो तुम
साथ भले चंद लम्हों का हो हमारा
इन्ही चंद लम्हों को मैं खूबसूरत बनाऊंगा
तुम मुझसे मिलना मैं तुम्हे तुमसे मिलाऊंगा
तुम्हारी ख़ातिर कोशिश करूंगा जीने की
कोशिश करूँगा साथ दे पाऊँ वक़्त आने पर
हर जगह साथ हूँ तुम्हारे बुलाने पर
बस ये खो देने डर मेरा, सच ना हो साबित
बस ये डर मेरा, ना हो जाए मेरी कहानी

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6 DEC 2019 AT 15:45

तेरे बारे लिखने का मजा और है
तू जब कहती है कि अच्छा लिखते हो
तब लगता है, तुझपे लिखने का मजा और है
तेरी आँखें, तेरी मासूमियत सब मुझको भाती है
तेरी हर अदा पे कायल होने का मजा और है
(पूरी कविता Caption में)

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24 NOV 2019 AT 13:24

एक न एक दिन,
वो तुम्हारा बात करना वक़्त बेवक़्त मुझसे
वो अपनी दिल के हालातों से परिचय करना
तुम्हरा दिल खोल कर रख देना मेरे आगे
हर बात को बताना मुझे, तुम्हारी यही बातें
आकर्षित कर गयी मेरे जज्बातों को
तुम्हरा कहना कि दोस्त है हम अच्छे
तुम्हारे लिए मेरा लिखना रोज कुछ-न-कुछ
होना ही था प्यार तो हो ही गया।

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22 NOV 2019 AT 13:25

राह तुम्हारी,
इंतजार किया बेइंतहा तुम्हारा,
फिर भी ना जाने कैसे कहा तुमने,
वक़्त नहीं है तुम्हारे लिए पास मेरे,
ना जाने किस नज़र से देखा तुमने,
ना जाने किस वजह से बोला तुमने।

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20 NOV 2019 AT 14:28

लिखना मेरी मोहब्बत है तू भी जानती है,
उसको भी अब तुझसे मोहब्बत हो गयी है,
एक अरसे से ख़फ़ा थी मेरी क़लम मुझसे,
तेरी ख़ातिर लिखने को वो राज़ी हो गयी है।

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