Nisha Gahlaut   (आहत ❤️)
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Joined 12 May 2018


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Joined 12 May 2018
27 AUG 2021 AT 16:11

सब एक-दूसरे में घुल
जाएँगे इस तरह, कि
दुनिया एक दिन
एक बड़ा एक्वेरियम हो जाएगी,
जहाँ-
मर जाएँगी मछलियाँ,
आदमी, पेड़-पौधे,
खेत और शैवाल।
जीवित रहेंगे वॉलपेपर, तस्वीरें,
और
आज़ाद होने का
भ्रम।
( अनुशीर्षक में पढ़ें👇)

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26 MAY 2021 AT 17:56

वह चिल्लाता हुआ कहता है
मेरी माँ दुनिया की
सबसे असाधरण स्त्रियों में से है,
क्योंकि मेरी माँ ने मुझे और परिवार को
अपना जीवन समर्पित कर दिया।

मेरी माँ ने कभी नहीं चुना
कविता लिखना
या अंतरिक्ष में जाना,
मेरी माँ ने नहीं चुनी
कोई भी नौकरी।
उन्होंने परिवार चुना,
इसलिए माँ
दुनिया में सबसे असाधरण हैं।

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18 MAY 2021 AT 18:21

जीवन की राह में
बिखरे पड़े हैं
मरुस्थल कई,
और कई बीहड़ जंगल।
हो सकता है
पा जाओ पानी,
पा सको भोजन भी,
पर
हमेशा न पाओगो
उबरने के लिए प्रेम,
थामने को उँगली,
और सहारे को कंधा।

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28 AUG 2019 AT 23:24

गणित की
कक्षाओं में..y का मान ज्ञात
करने के लिए .
x का मान कुछ भी मान
लेना मेरे लिए उतना ही जटिल था
जितना साहित्य की कक्षाओं में
सरल रहा
प्रेम का मान
ज्ञात करने के लिए
मेरे द्वारा कल्पना का मान
तुम्हें चुना जाना

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4 MAR 2021 AT 11:40

सब्र हम कितना और कब तक करें...
कि इतना दौड़ते हैं, पीछे कुछ छूटता नहीं।

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23 FEB 2021 AT 22:23

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14 JAN 2021 AT 22:35

एक क्रोधित होते होते
रो देता था...
बड़ा संवेदनशील ..
.
.
एक हँसते -हँसते
रो देता था....
बड़ा कठोर

एक था सफ़र के किसी पड़ाव में ..
एक मंज़िल पार कर चुका था..

क्रोध में रोते आदमी से
भयावह होते हैं
हँसते -हँसते रो देने वाले
आदमी के आँसू
.
जिनमें गुंथा है अनुभव ,
जिनमें विलेय है चुप्पी
जिनमें गूँजता है ..
एक सफ़र
और
दुःख की
खनक

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23 DEC 2020 AT 16:26

~~तलाश~~

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27 NOV 2020 AT 22:25

' विकास की खोज में'

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13 OCT 2020 AT 18:40

परवाह नहीं मुझे ,ज़िन्दगी में आए मोड़ों की
बस हर मोड़ पर तू साथ मुड़ना मेरे....

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