खुद रुक गया हूँ, वक़्त की लड़ाई में खुद को ढूंढ रहा हूँ, थे ज़िन्दगी में कुछ लोग जिनके साथ वक़्त कैसे बीत गया पता ही नही चला, और आज ये आलम है, एक पल कैसे काटूँ ये सोच रहा हूँ ।।
कभी कभी तुम्हारी बहुत याद आती है, इस अनजान दुनिया में बस तुम अपनी लगती हो माँ, यहां सब मतलब से बात करते हैं, पर तुम मुझसे नि:स्वार्थ बात करती हो माँ, मेरी एक आवाज़ सुनने के लिये तुम घंटो इंतज़ार करती हो, माँ, तुम क्यों मुझसे इतना प्यार करती हो ।
चलो ना कुछ चीजें बांट लेते हैं, खुशियां तुम रख लो, गम हम रख लेते हैं, वक़्त तुम रख लो, इंतज़ार हम रख लेते हैं, आसमां तुम रख लो, ज़मीन हम रख लेते हैं, किताब के पन्नो को तुम रख लो, कलम हम रख लेते हैं, अल्फ़ाज़ तुम रख लो, ज़ज़्बात हम रख लेते हैं, मुस्कान तुम रख लो, आँसू हम रख लेते हैं, चाँद की चांदनी तुम रख लो, अमावस का अंधेरा हम रख लेते हैं, चलो ना कुछ चीजें बांट लेते हैं, सारा जहाँ तुम रख लो, और तुम्हे हम रख लेते हैं।