Vrinda S Mishra   (Vrinda)
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Joined 18 June 2017


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11 HOURS AGO

असमंजसों ले घेरे में हैं,
सवालों से जूझते
उत्तर की तलाश में थे,
कि तभी एक गुलाबी चुनरी
हँसते हुए वहां से निकली,
पूछने पर उसने कहा
रुके किस के लिए ज़िंदगी,
हैं उलझने तो वही सही,
पर जीने की इच्छा उससे प्रबल है
तो फिर रुके क्यों उसकी आत्मा की नदी।

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11 HOURS AGO

A chaotic night
A soft melody dancing,
Yearning for silence.

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22 APR AT 22:44

कि ज़िंदगी अकेले
मुखौटों की भीड़ में कटेगी कैसे,
फिर याद आता है
साथ मेरे
मेरा रब है,
और किसी का हाथ
सदा मेरे सिर पर है,
फिर भयमुक्त होकर
इस गगन में उड़ जाती हूं,
क्षितिज को छू
आसमान अपने नाम लिख आती हूं।

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22 APR AT 22:41

The bliss of Summers
The shining yellows
Sweet sometimes,
Tangy the other,
The king sure knows
How to make tastebuds bow.

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21 APR AT 22:44

कुछ और सपने साथ बुनने की,
मुरादें अधूरी ही रह गई
साथ बैठ तारें गिन
कॉफी की चुस्की लेने की,
पर ये भी वादा तेरा
याद रहेगा हमें सदा,
मिलेंगे फिर हम दोबारा
किसी सुंदर स्वप्न में हां।

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21 APR AT 22:42

Feeling closer to soul
Heart realised
Solace is gold.

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20 APR AT 22:49

कि बात ये राज़ की है,
फिर यूं ही भीड़ में सरेआम तुम
पकड़ के हाथ ये मेरा
खींच लेते हो अपनी ओर
न जाने बचाने को किनसे किस ओर,
फिर मुझे चुप रहने को कह कर
आप ही आँखों से कह जाते हो
अधर को विराम दे
बस अपना नाम साथ मेरे जोड़ जाते हो।

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20 APR AT 22:46

The thirsty tree
Rejoiced under rain
Of solitude bliss.

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19 APR AT 22:52

अब तो क्षितिज पर नाम लिखना है,
वह विराट फलक है अब हमारा
देख वहां मेरे नाम का सूर्य उदय होता है,
चल अब साथ मेरे तू भी
देख वहां एक हिस्सा तेरे नाम का भी मुझे दिखता है।

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19 APR AT 22:50

Words that were meant for sunrise
Were framed as sunsets.

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