एक पल को जरा शान्त हो जाओ...
खामोश रहो एक पहर के लिए..
जीवन में ये भाग दौड़ क्यों है!!
जियो खुद के लिए खुद के ही खातिर खुद के ही भीतर..
तराश दो खुद को एक हीरे की भांति..
सीमित संसाधन होंगे, असीमित चुनौतियां होंगी..
समस्याओं का अनसुलझा जाल होगा..
क्यों ठहर गए क्या, भयभीत हो क्या..
उठ खड़े हो फिर एक घायल की भांति
मंजिलें आगोश में लेने को आतुर..
बस एक प्रयास की और चोट दो ना..
जितना कठिन सफर होगा..
उतनी सुहानी मंजिल होगी..
जितना ऊंचा प्रयास होगा..
उतनी नजदीक मंजिलें होंगी..
बस एक और प्रयास ,एक और अवसर दो ना..
घायल ही तो हो, फिर उठ खड़े हो ना..
अवसर असीमित इस जीवन में..
बस श्वास को फिर चलने का अधिकार दो ना..
तराश दो खुद को फिर एक हीरे की भांति..
बस एक और प्रयास...
एक और चोट करो ना....
बस एक ओर......❤️
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