vishal rana  
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Love to write...
Joined 21 March 2018


Love to write...
Joined 21 March 2018
26 DEC 2023 AT 18:58

धुआँ धुआँ सा रास्ता,
जला जला है आसमां,
अतीत को है देखता,
नादान ए दिल क्यूं खामखा

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25 AUG 2023 AT 22:09

मेरी मायूसी मरहम है मेरी,
मैं खुश हूं आंखें नम हैं मेरी।

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11 JUN 2023 AT 0:39

mehfilon mein battiyan jaati rehti hain,
deep jalein to roshni ho hi jaati hain..

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11 APR 2023 AT 22:51

अब इस सफर में हूं के सोचता हूं,
कौन पीछे छूट गया, किसके साथ चल रहा हूं।
कितनी अधूरी बातें होंगी, कितने बाकी किस्से हैं,
आगे बढ़ रहा हु या इनसे बचके निकल रहा हूं।

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11 MAR 2023 AT 23:01

किसकी जुस्तजू में उम्र बसर होती है,
मक़ाम ऊंचे भी हैं और हासिल कुछ भी नहीं।
यूं तो ना पूछिए राणा' अब बाकी क्या रहा,
हयाती रहगुज़र में साहब कामिल कुछ भी नहीं।।

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13 FEB 2023 AT 20:52

मैंने अक्सर दीवानों का यही हाल देखा है,
ज़ुल्मत ए हिज्र में उल्फत ए जवाल देखा है,
यकसर भूल जाऊं तुझे मुमकिन तो नहीं,
खुद को भूल जाने का एहतिमाल देखा है,

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17 JAN 2023 AT 20:12

ज़िंदगी यूंही गुजरती रहेगी, उलझने यूंही सताती रहेंगी।
तेरे ज़िक्र पे कब तक रोता रहूंगा मैं, तू कब तक मुझे याद आती रहेगी।।

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15 JAN 2023 AT 21:15

चलो कहीं दूर चलते हैं,
ख्वाहिशों की पतंग लूट आने को,
किसी आँख में डूब जाने को,
करने आजाद किसी बहाने को,
कोई याद गुनगुनाने को,
चलो चलते हैं,
कोई रूठी शाम मनाने को,
दिल में शमा जलाने को,
बुझने को बुझाने को,
दिल की दुनिया सजाने को,

अधूरी बात बताने को,
किसी कांधे पे सो जाने को,
चलते हैं।

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15 JAN 2023 AT 20:57

तंग गलियों से गुजरी होंगी ख्वाहिशें उनकी भी,
उनको भी किसी की याद से वाबस्ता होगा,
चंद मुम्किन उम्मीदों की चाह में कहां तक आ गए,
दिल-ए-बेकली थाम लें या आगे भी कोई रस्ता होगा।

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2 OCT 2022 AT 23:48

अब अक्सर सोचता हूं इश्क करके क्या मिला,
तुमसे बिछड़ के मिला खुद से तो क्या मिला,
गोया परिंदों का दरख्तों से बसेरा है,
मेरा भी किसी शहर से था सिलसिला,
अक्सर सोचता हूं इश्क करके क्या मिला।

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