16 JUL 2018 AT 14:07

*हाइकु पंच*
झूमे बदरा
खिला इंद्रधनुष
आई बरखा
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पपीहा बोले
पीहू पीहू पीहू रे
मनवा डोले
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बोझिल नैना
साजन आन मिलो
प्रित हिंडोले
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मन की हूक
प्रितम परदेश
बीते सावन
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इक तुम्हारी
छवी हो अनुपम
दृग पटल
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विनय जैन "कंचन"

- मेरी कलम