वक्त की इस तपिश में है झुलसा ये मन कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन यूं ही रस्ता निहारे ये सूने नयन कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन -
वक्त की इस तपिश में है झुलसा ये मन कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन यूं ही रस्ता निहारे ये सूने नयन कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन
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