17 JUL 2018 AT 21:34

वक्त की इस तपिश में है झुलसा ये मन
कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन
यूं ही रस्ता निहारे ये सूने नयन
कब बहेगी न जाने ये चंचल पवन

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