अक़्सर लोग मुझसे पूछते है,कैसे लिखते हो तुम !मैं बस यहीं कहता हूँ कि,जब मेरे अंदर से शोर उठता है !मेरी ख़ामोशी चीखती है,मेरे दिल में, जज्बातों का बादल फुटता है !तब कही जाके, मेरे अंदर का ये शायर जागता है।।@k - @k
अक़्सर लोग मुझसे पूछते है,कैसे लिखते हो तुम !मैं बस यहीं कहता हूँ कि,जब मेरे अंदर से शोर उठता है !मेरी ख़ामोशी चीखती है,मेरे दिल में, जज्बातों का बादल फुटता है !तब कही जाके, मेरे अंदर का ये शायर जागता है।।@k
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