12 JUL 2018 AT 23:24

3rd part
पार्किंग से गाड़ी निकाली ही थी
कि फिर मुझे वहीं दिखी,
शायद वो भी मेरी वज़ह से लेट हो चुकी थी !
मैने गाड़ी रोककर उससे पूछा, आप मेरी वज़ह से लेट
हो गईं अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ...उसने कहा,
नहीं थैंक यू लेकिन मैं टैक्सी ले लूंगी !
फिर मैं चल पड़ा वहाँ से... मैं यहीं सोच रहा था कि वो
किसी अज़नबी के साथ क्यूं जाएगी वो तो मुझे जानती
भी नहीं है ! शायद इस वज़ह से ही मना किया हो उसने
यही सब मेरे माइंड में चल रहा था, फिर मुझे एहसास हुआ ठंडी हवा का !
तो मैने ध्यान दिया कि मैं कार का हीटर खोलना ही भूल गया था...
घर पहुँचा डिनर बनाया और रोज़ की तरह अकेले
डिनर करके सोने चला गया !
बैड पर लेटे हुए बस यही सोच रहा था कि वो लड़की उससे पहले तो वहाँ दिखी नही थी,
शायद नई आयी हो यही सोचते-सोचते पता नही कब आँख लग गई !
अगले दिन रोज़ की तरह अपने ऑफिस के बाद मैं लाइब्रेरी पहुँचा... मैं बुक पढ़ तो रहा था,
पर पता नहीं मेरा मन और मेरी आँखें उस लड़की को ढूढ़ने को कह रही थी मुझसे !
फिर मैने देखा वो काउंटर पर थी,
तो मैं वहाँ चला गया !
To be continued....
@k

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