मेरे शायरी का ताल्लुक
मेरे तजुर्बे से तो नही था
मैं जो लिखता था
वो भी हकीकत तो नही था
गुस्से–गुस्से में
जो चिल्लाया भी कभी
गुस्से में था
पर रोया तो नही था
था मेरे ही हिस्से में
टूटने का मजा
मैं इस कदर टूटा
पर बिखरा तो नही था
क्या–क्या हुवा जिंदगी में
कब–कब हुवा
दुनिया ही चालाक निकली
मैं बच्चा तो नही था
मेरे शायरी का ताल्लुक
मेरे तजुर्बे से तो नही था
मैं जो लिखता था
वो भी हकीकत तो नही था
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