Tariq Azeem   (तारिक़ अज़ीम 'तनहा')
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Joined 20 September 2017


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Joined 20 September 2017
10 MAR 2020 AT 11:18

गुलों के लेके रंग आया है गुलाल होली में,
रुख़ जो हूरों सा मुजस्सम जमाल होली में!

वो जिसको इक माँ ने लिखे हज़ारों ख़त,
न आया अबके भी उसका लाल होली में!

किसी के गाल को मयस्सर नहीं गुलाल और,
किसी गुलाल के लिए नइ है गाल होली में!

सर से पांव तक रंगों में रंगी है इक लड़की,
फिर भी देखिए ज़ालिम है चाल होली में!

बदन महकता है और चेहरा भी महताब मेरा,
उसके हाथों से मैं हुआ हूँ कमाल होली में!

उसने मुझसे कहा तुम मिलो कहीं 'तनहा',
मैं लेकर आती हूँ रंगों की थाल होली में!
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
IG- @the_alone_poet86

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9 MAR 2020 AT 16:54

दिल ही रह-ऐ-तलब में न खोना पड़ा मुझे,
रुख़सत इस जहाँ से भी होना पड़ा मुझे।

उक़ता रहे थे सब मेरी दास्तान-गोई से,
फिर यूँ हुआ कि चीख़के रोना पड़ा मुझे!

मैं हंस पड़ा था एक बार देखकर किसी को,
ता-उम्र इसी बात पे रोना पड़ा मुझे।

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6 MAR 2020 AT 1:32

एक गीत के दो अंतरे

कैसे मैं कह दूं, के उल्फ़त है तुमसे,
मेरी जां, मेरी जां, निकल जा रही है,
छुपा भी न पाऊं, बता भी न पाऊं,
किस हाले-अब्र की घटा छा रही है!

आँखों में काजल है, माथे पे बिंदिया,
और सजी खूब है वोदुल्हन की तरह,
कैसे मैं सम्भलू देखकर के उसको,
मेरेदिलपे वोकितनेसितम ढा रही है!

उल्फत- love, प्यार, मुहब्बत
अब्र-बादल, cloud

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
{IG- @the_alone_poet86}

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25 FEB 2020 AT 1:31

सर्द रातों में और इन ठंडी हवाओं में,
शेर कह रहे हैं हम इन खुली फ़ज़ाओ में!

हर नज़्म मेरी हर कविता तुझी से है,
ज़िक्र तेरा ही हैं महदूद मेरी व्याख्याओं में!

करे है नज़रें-करम तो सदके उतारे है वो,
प्रेम भरी नज़र होती है आखिर इन मांओ में

जानां! तूने ज़ुल्फ़ खोली ढलते सूरज में और
शाम सिमटकर आ गयी हैं तेरी अदाओं में!

आज जिस्म की हवस है अलग मआनी है,
प्रेम 'तनहा' वही था जो सुना है कथाओं में!
मआनी- Meaning

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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7 DEC 2019 AT 1:14

रोज़ शाम को थककर जब घर जाता हूँ मैं,
बिस्तर पे लेटता हूँ के लेटते ही मर जाता हूँ मैं!

तारिक़ अज़ीम 'तनहा' |
IG- @the_alone_poet86

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25 NOV 2019 AT 12:46

हर बार जैसा करता था वैसा नहीं किया,
रुकने का मैंने उसको इशारा नहीं किया!

हर सू दिखूंगा मैं ही जब इश्क़ तुमको होगा,
अभी खुद को तुमने मेरा दीवाना नहीं किया!

गुज़र जाऊंगा हद से तो हो जाऊंगा पागल,
इश्क़ में मैंने खुद को यूँ रांझा नही किया!

हमेशा रखी है लाज तेरी आन-बान की,
मैंने कभी भी तेरा कहीं चर्चा नहीं किया!

खुद हो गए रुसवा इस जहान-ए-फानी से,
लेकिन कभी भी तुझको तनहा नहीं किया!

Tariq Azeem 'Tanha'

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19 NOV 2019 AT 17:59

मैं एक अपने दहाने से जा मिलूंगा,
यानी उस दोस्त पुराने से जा मिलूंगा!

तुमने अगर मुझको छोड़ भी दिया तो,
देखना मैं फिर ज़माने से जा मिलूंगा!

वो तो सोचता नही गर सोच भी लू ना,
मंज़िल के हर ठिकाने से जा मिलूंगा!

वो हरेक मुझसे बचने के बहाने ढूंढेगा,
मैं जिसे किसी बहाने से जा मिलूंगा!

सोचूंगा भी नहीं दिन में शराब के बारे,
लेकिन शाम को मैखाने से जा मिलूंगा!

निगाहों के तीर से गर बच भी गया तो,
लेके दिल उसी निशाने से जा मिलूंगा!

ज़ाहिर हैं की मिले, मिले ना मिले तो,
मैं उसे किसी बहाने से जा मिलूंगा!

दिनभर बैठूंगा चाय की दूकाँ पर तन्हा,
शब में मगर कुतुबखाने से जा मिलूंगा!

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31 OCT 2019 AT 22:12

मुहब्बत में तुझ पे इल्ज़ाम धर के देखूंगा,
बदनाम तुझको इश्क़ में, मैं कर के देखूंगा!

सुना हैं के शहर में तेरे होती हैं शाम-ए-रंग,
सो नज़ारे किसी रोज़ तेरे शहर के देखूंगा!

बरसों से तेरी दीद का मैं हूँ मुंतज़िर,
गले तुझसे मिलूंगा, आँख भर के देखूंगा!

समंदर को गुरूर हैं गर अपनी गहराई पे,
तो सुन ले ऐ समंदर तुझमे उतर के देखूंगा!

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13 OCT 2019 AT 22:28

जिंदगी भर का नशा एक पल
में उतरने वाला था,
मौत मेरे सामने खड़ी थी और
मैं मरने वाला था।

Jindagi Bhar Ka Nasha Ek Pal
Me Utarne Wala Tha,
Maut Mere Saamne Thi Aur
Main Marne Wala Tha!

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12 OCT 2019 AT 0:46

गुरूर ना कर तू अपने ईमाँ पर,
हम क़ाफ़िरो का भी खुदा हैं दोस्त!

Guroor Na Kar Tu Apne Ima'an Par,
Hum Qafiro Ka Bhu Khuda Hain Dost!

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