सच्चा सुख
स्वादिस्ट भोजन में, मनोरंजन में, धनदौलत में या सागरतट पहाड़ी विहार में, कहां हैं सच्चा सुख
अप्नोके साथ में, दुश्मनों के बिछड़ने में, भजनकीर्तन में या एकांत में ढूंढे जग सारा फिर भी मन हारा
न भारी भरकम खजाने में, वो तो है खुद अन्तर्मन में
एक तू सबमे सच्चा शिव शरीर तन मन धन
तू नही तो सुख....."शवासन"।।
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