कहदे जो ख़ामुशी को वो अंदाज़ ढूँढती हूँ,
मैं इन ग़मों के वास्ते आवाज़ ढूँढती हूँ,
ऐसी लिखूँ ग़ज़ल जो दिल की बात बयाँ कर दे ,
भटकी हूँ दर-ब-दर के मैं अल्फ़ाज़ ढूँढती हूँ।
जो दिल के तार छेड़ दे मैं गीत ऐसा इक कहूँ,
संगीत ढूँढती हूँ ऐसा 'साज़' ढूँढती हूँ।
तुमने क्या साथ छोड़ा, तुमने इंतेहा न छोड़ी,
उस इंतेहा में मैं नया आग़ाज़ ढूँढती हूँ।
कहते हैं बेवजह यहाँ होता नहीं है कुछ भी,
हर हादसे में मैं कोई ऐजाज़ ढूँढती हूँ।
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