शाम होने को हैं पर चाय हमारी अभी बाकी हैं... शाम होने को हैं, पर ये मिलन अभी अधुरा सा हैं ये समा रंगीन होना बाकी हैं ये मुलाक़ात को सपने से हक़ीक़त में बदलना बाकी हैं ये अरसों से दबे एहसास बयाँ करना बाकी हैं, सूरज की पहली किरण में तुम्हारी खिलती हुई मुस्कान ज़न्नत दिखा गई और ढलती हुई शाम तुम्हारा जुनून दिखा गई शाम होने को हैं, पर तुमसे दूर हो जाऊं इस सोच से दिल अभी बैचैन हैं ...