सब अपने ही मनमर्जी के मालिक है कहाँ कोई किसी का आजकल हो पाता है करना ही है वादा अगर तो खुद सेे ही करो जीयो जिंदगी खुद के ही बल पर रख भरोसा किसी के वादे पर मरमर कर आखिर क्यों जीयो वादा कौन निभाता है कहाँ कोई किसी का आजकल हो पाता है..
महोब्बत सिर्फ दिल्लगी तक रह गई है, रिश्ते सिर्फ सोशल मीडिया तक रह गई है, यादें सिर्फ बंद एल्बम तक रह गई है, अब तो लोग इतने खुदगरज हो गए है ... जरूरत पड़ने पर भी वादो से मुँह मुकरना जैसी उनकी फ़ितरत हो गई है ...!!
इस दुनिया मे कौन अपने वादो पर खरे उतर पाते है.. वादे कौन निभाते है.. हर मोड़ पर लोग मतलब के लिये पास आते है., और साथ छोड़ जाते है... चाहे प्रेमी हो या हमसफर साथ निभाने आते है.. पर जिदंगी़ के मझधार मे वो भी , अकेला छोड़ जाते है.. वादे तो केवल मा-बाप निभाते है.. जिदंगी के हर मोड़ पर खरे उतर जाते है.. |