QUOTES ON #लिखता_हूँ_मैं

#लिखता_हूँ_मैं quotes

Trending | Latest
8 JUL 2019 AT 22:14

कभी-कभी वन लाइन लिखता हूं,
तो कभी पैरों पे पैरा लिखता हूं,
बस पसंद-पसंद की बात है,
कभी-कभी तो यहां,
सारा जहान लिखता हूं।
लिखने को हर दिल की,
वह कहानी लिखता हूं,
मगर हर कहानी,
अपनी जबानी लिखता हूं,
आप पसंद जिसे करते हो,
वह जिंदगी की,
हर जिंदगानी लिखता हूं।

-


24 FEB 2019 AT 1:08

मन की बाते लिखता हूँ
बस ये डर रहता है कि
कभी ये शब्द भी रुठ के
ना चले जाए ।

-


14 JAN 2019 AT 7:03

ना प्यार की बरसात, ना दर्द के आकाश में
मैं लिखता हूँ तो बस, खुद की तलाश में

-



लिखता हूँ
कुछ याद रखने के लिए
पर ये भी सच है
कभी कभी
कुछ लिखता हूँ
सब कुछ भूल जाने के लिए
ना जाने क्यूँ

-


2 JUL 2020 AT 10:24

“हर सुबह हर शाम लिखता हु”
तुम्हें ना भूलने की गुस्ताखी,
हर बार करता हूं!
तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता हु ..!1!
अब कुछ रहा नहीं तेरे जाने के बाद,
तेरी यांदो की ख़्वाबो के सिवा,
तो तुम्हें न भुलने की चाहत में आज कल,
खूब उदास सा रहता हूं!
और तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता ...!2!
मुझे शौक न था शेरो-शायरी का,
मगर अब भी तेरी इंतज़ार में आज कल लिखता हू़ं!
दिल में एक उम्मीद सी लिए,
कि तुम लौट आवोगी कभी न कभी मेरे पास,
यह सोच कर तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता हु.!3!

-



ना जाने क्यों
लोग दावा करते है
एक मुलाकात में
किसी को परखने का
अपनी सोच और समझ से
नही जानते वो शायद
मैं अभी भी
खुद को ही लिखता रहता हूँ
यूँही

-


17 MAR 2018 AT 0:25

लोग कहते हैं मैं अपने आप पे लिखती हूं
उन्हें क्या पता मैं दुनिया के जज्बात पर लिखती हूं

कुछ लोग हैं यहां जो सिर्फ मतलब के लिए जीते हैं
मैं तो बस उनकी फितरत पे लिखती हूं

लोग जिन्दगी को रो रो कर जीते हैं
मैं तो बस जीने के तरीके को लिखती हूं

वो प्यार का दावा कर जो मां-बाप को छोड़ते हैं
मैं तो बस उस प्यार के मज़ाक पर लिखती हूं

अपने मां-बाप के ख्वाबों को सुनती हूं
तो बस उनको ही थोड़ा सज़ा कर लिखती हूं...

-



जब कभी
कुछ महसूस करता हूँ मैं
यूँही लिख देता हूँ मैं
लिख कर पढ़ता नही हूँ मैं
मुझे विश्वास जो है
अपने लिखे शब्दो पर
वो रंग नही बदलते
वो अर्थ नही बदलते
अपने मेरे लिए

-



अपनी लेखनी से
दिल की बात करता हूँ
जो बात कभी कह नही पता
कोशिश करता हूँ
लिख सकूँ
कह सकूँ
शब्दो के माध्यम से
यूँही

-



जो चाहता हूँ
मैं कहना
पर कह नही पाता
बस लिख देता हूँ मैं
यूँही

-