“हर सुबह हर शाम लिखता हु”
तुम्हें ना भूलने की गुस्ताखी,
हर बार करता हूं!
तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता हु ..!1!
अब कुछ रहा नहीं तेरे जाने के बाद,
तेरी यांदो की ख़्वाबो के सिवा,
तो तुम्हें न भुलने की चाहत में आज कल,
खूब उदास सा रहता हूं!
और तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता ...!2!
मुझे शौक न था शेरो-शायरी का,
मगर अब भी तेरी इंतज़ार में आज कल लिखता हू़ं!
दिल में एक उम्मीद सी लिए,
कि तुम लौट आवोगी कभी न कभी मेरे पास,
यह सोच कर तेरी याद में आज कल,
हर सुबह हर शाम लिखता हु.!3!
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