थक जाएगी तू भी,कभी तेरी आँखों से भी बरसात होगी इक दिन तू आएगी चल कर मेरे पास तू खुद मेरे साथ होगी पूछुंगी क्या हार गई ज़िन्दगी तू मुझसे लड़ते हुए तब जब कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
अकाल ही काल का गाल फटा सब्र में कौन है अंतर्धान? सुखाभास के मरुस्थान में,सूखी मृदुता की खिली धनधान, स्वाद जल्प का हुआ अल्प सा अहसास कौड़ी का है अवमान, फटे हाल सी मध्यमता दुआ दवा के कहाँ बटते हैं परिधान?
होठों पर शायद मुस्कान होगी... लेकिन आँखों में कई शिकायतें होगी... रिश्तों में खटास होगी... दिल में फिर भी तेरे लिए चाहत होगी... हमारे लिए न सही तेरे लिए उस रब्ब से इबादत होगी!!