है कौन.., जो जाता थक नहीं
जीवन इक तपोवन से पृथक नहीं,
जब तक आशा है.. मन "राही"
तेरे प्रयास जाएंगे व्यर्थ नहीं,
जीवन तो युद्ध है.. कर्मों का
छुटे ना सारथी.. रथ कहीं,
उस पार इस दुःख की सराय से
जाता तो होगा.. कोई पथ कहीं,
देखना निराशा का यह निर्मम साया
साथ जाएगा.. तेरे दूर तक नहीं,
तू शज़र सा तूफानों से लड़ मनवा
बेलों सा यूँ पग-पग..लचक नहीं,
यह मुस्कुराहटें चाहे क्षीण सही
है ख़्वाइशों पे.. किसका हक़ नहीं,
जब पत्थर में रब पूजा है
फिऱ दुआओं पे कर यूँ..शक़ नहीं..!
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