तृप्त करती फुहारे ,
प्रियतम की याद में ....
सिसकती चाह में ,
गहराई में उतरती ये बूंदे ....
मन की उवरा पर !
रेश्म के तार से बंधती ,
प्यार के रंग में .. खुद को रंगती ,
मीठा-सा शोर करती ,
ठिठुरते होठों पर ....
भाव को सजाती !
निश्छल मन के करीब !
सांसो के समीप ....
खुद को समर्पित करती ...
मन के धरातल पर करवट लेती
उंमगो को अमृत देती .....
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