तुम आये तो मेरी मोहब्बत में बरक़त होने लगी चुपचाप रहता था कभी दिल, अब हरकत होने लगी कैसे कैसे ख़्वाब देख रहा अब दिल, क्या कहूं हसरतें बेइन्तेहा हैं इस दिल को तुम्हारी हसरत होने लगी
काश मेरे जिस्म पर क़ोई जादू हो जाएं, इबादत करने वाले हाथों में ख़ुदा की बरक़त हो जाएं, जब हाथ उठे तो खुशियां मिले और जब हाथ झुके, तो हर जरूरतमंद को मुहब्बत में ख़ुदा मिल जाए।