वे लिखते हैं हिंदू-मुस्लिम,
ठाकुर, बामन और पठान।
सब इक दूजे पर हँसते हैं,
जैसे ऊदई वैसे भान।
धरम-जात औ' वंश घराने,
बस इतनी सबकी पहचान।
जी करता है काट गिराऊँ,
धर्म-जात वाली चट्टान।
कागज-पत्तर फाड़के फेंकूँ,
सब बँटवारे के सामान।
नाम के खाने में लिख डालूँ,
केवल और केवल 'इंसान'।
-