QUOTES ON #धर्म

#धर्म quotes

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21 JAN 2019 AT 13:00

सभी मज़हब मुहब्बत का हमें पैग़ाम देते हैं
सियासी लोग हैं, जो दूसरों की जान लेते हैं!
धर्म के नाम पर तुम हाथ में तलवार देते हो...
जो मज़हब जानते हैं, दूसरों पर जान देते हैं !!

سبھی مذہب محبت کا ہمیں پیغام دیتے ہیں
سیاسی لوگ ہیں جو دوسروں کی جان لیتے ہیں
دھرم کے نام پر تم ہاتھ میں تلوار دیتے ہو
جو مذہب جانتے ہیں، دوسروں پر جان دیتے ہیں

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5 DEC 2018 AT 13:32

मर रही है इंसानियत यहाँ..
धर्म जो अमर हो रहा है..!!

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15 MAY 2020 AT 18:40

जपा है जब से अल्लाह-राम
शेष विशेष नहीं कुछ द्वेष
शेष विशेष नहीं अब काम।

हज़रत - मरियम - सीताराम
परहित करना इक संदेश
निर्धन कुटिया मक्का-धाम।

ईश्वर - अल्लाह इक का नाम
मंदिर - मस्जिद कहाँ कलेश
सब उसकी है धरा तमाम।

नानक, ईसा, राधा - श्याम
कब था इनको क्रोधावेश
गंगा करूणामय अविराम।

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9 JUN 2020 AT 14:31

वे लिखते हैं हिंदू-मुस्लिम,
ठाकुर, बामन और पठान।

सब इक दूजे पर हँसते हैं,
जैसे ऊदई वैसे भान।

धरम-जात औ' वंश घराने,
बस इतनी सबकी पहचान।

जी करता है काट गिराऊँ,
धर्म-जात वाली चट्टान।

कागज-पत्तर फाड़के फेंकूँ,
सब बँटवारे के सामान।

नाम के खाने में लिख डालूँ,
केवल और केवल 'इंसान'।

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14 MAY 2020 AT 22:49

बेदिली को चलो दिलों से निकाला जाए,
फिर किसी ख़ाब को पलकों में संभाला जाए,

कितनी मुर्दादिल हो गई है ज़िन्दगी सबकी
नातवानों की दिल में फ़िक्र को डाला जाए।

आओ अपनी ज़रूरतों को मुख़तसर कर लें
कोई रूखा सही पर उन तक निवाला जाए।

आग नफ़रत की झोपड़ों को जला डालेगी
रख मोहब्बत की शमा दिल तक उजाला जाए।

बन गए हैं क्या पलके हिंदू और मुसलमाँ हम!
अब से बच्चों में सिर्फ़ इंसाँ को ही पाला जाए।

आसमाँ में भी इक सुराख़ हो ही जाएगा
बारहा पत्थर तबीयत से उछाला जाए।

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29 MAY 2020 AT 16:36

कुछ तो मेरे सीने में भी ईमान रहने दो,
काफ़िर न मैं मोमिन मुझे इंसान रहने दो।

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4 JUN 2020 AT 8:15

बिना सिखाये ही
मन में जाग जाता हूँ...

धर्मों, जातियों
सामाजिक रीतिओं से
परे हूँ मैं, क्योंकि
ईश्वरीय गुण हूँ मैं...

प्रेम हूँ मैं।

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31 MAY 2020 AT 11:03

रहे अल्लाह का करम
करें ऐसे काम हम
समझें राह सही
चलें मस्जिद-उल-हरम।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।।

आनंद की सूक्ति हो
दुःखों से मुक्ति हो
मन दर्पण हो धवल
गच्छन्तु, बुद्धम् शरणम्।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।।

दुष्कृतों का नाश हो,
साधुओं का वास हो,
लौटें धरा पर फिर
ईसा इब्न मरियम।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।।

रहे दृष्टि निर्मल
लगे सृष्टि निर्मल
भूलें सब द्वन्द हम
हो 'वसुधैव कुटुम्बकम्'।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।।

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23 JUL 2020 AT 8:11

अच्छा है ओ हवा!
जो तेरा कोई मज़हब नहीं है,
तेरा भी गर मज़हब होता
कितनों का दम तो यूँ ही घुट गया होता।

बरसती हुई यह बारिश भी
अगर मानने लगती जातियों को
न जाने कौन-कौन फिर
प्यासा ही मर गया होता।

कितने परिंदों के घोंसले
उजड़ते रोज़-दर-रोज़,
जो इन दरख़्तों ने अपना धर्म
हम-तुम - सा चुन लिया होता।

नहीं हैं सरहदें तो छाया हुआ है वो,
बँटा होता तो आसमाँ
ज़मीं पर बिखर गया होता।

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30 MAY 2020 AT 18:36

घृणा में प्रेम के योग से
घृणा घट जाती है,

जबकि...
घृणा में घृणा का योग
घृणा का गुणनफल होता है,

अतः मानवता के गणित में
सर्वजन से मुक्त मन से
प्रेम करना ही श्रेष्ठतम
समीकरण है...

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