QUOTES ON #दूरदूरतक

#दूरदूरतक quotes

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3 JAN 2020 AT 14:23

वीरान हो गया है शहर, दूर दूर तक
आता नहीं कोई नज़र, दूर दूर तक

मुफ़लिसी फैल गयी है चारों तरफ़
बढ़ा महंगाई का असर, दूर दूर तक

तड़पता ग़रीब है इस ठंड में अभी
किसी को नहीं है ख़बर, दूर दूर तक

मदद के लिए आगे आओ "आरिफ़"
चलना पड़ेगा तुम्हें मगर, दूर दूर तक

"कोरा काग़ज़" हो गए दरिया सारे
पानी दिखता है किधर, दूर दूर तक

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3 JAN 2020 AT 14:58

अश्क़ गिरते है जब रूह पे कसक होती है,
हर एक सांस में सहमी सी सिसक होती है,
दरिया होता है दूर दूर तक यादों से भरा,
हर एक बात पे कुछ बातों की झलक होती है,
दिल रोता है तो रोते है नज़ारे सभी,
वक़्त करता है गुलशाद कुछ इशारे कभी,
की कुछ अपना ना जुदा होने की ललक होती है,
अश्क़ गिरते है जब रूह पे कसक होती है
फिर दर्द छुपाने की अदाकारी जो ना कर पाया अदा
बहुत छुपाया दर्द ना छुपा पाया है ये खता
लबों पे मुस्कान और जब झुकी पलख होती है
अश्क़ गिरते है जब रूह पे क़सक़ होती है
हर एक साँस में सेहमी सी सिसक होती है

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29 JUL 2021 AT 22:01

दूर दूर तक नजर
नही आता कोई अपना
अपने भी जो थे वो भी
अब पराये हो गये

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4 JAN 2020 AT 17:15

Dur Dur Tak Najar Nahi Aaya
Aab Wo Chehra,
Jiss chehre ke Hame Talash thi
Shayad wo Rasta Badal liya.

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5 JAN 2020 AT 18:00

तुम्हारा साया भी कहिं, नज़र आता नहीं,
अब तो ये आलम ए हिज्र भी भाता नहीं,
दिल का मामला है, ये तेरी फ़ितरत नहीं,
'इश्क़' मेरा, चेहरा देख बदल जाता नहीं!

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5 JAN 2020 AT 12:35

दूर दूर तक चले जाना लेकिन बात तो करते जाओ
एक आखरी बार ही सही मुलाकात तो करते जाओ

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3 JAN 2020 AT 14:54

एक चुप सी तन्हाई


हम दोनों के दरमियां


दिल की लगी में बसी हैं


दूर दूर तक बस


खामोशी बेइंतहा

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3 JAN 2020 AT 20:51




मेरी यारी है अब तन्हाई से ये दूर दूर तक वीराने हैं।
सागर में उठती लहरों से ग़म के केवल अफ़साने हैं।

किस्मत में क्यों लिखी जुदाई लहरों से ही पूछ रहा हूँ।
लहरें खुद तन्हा हैं कब से देखो हम भी कैसे दीवाने है।

मेरी नजरों का धोखा है सागर कब मिलता है नभ से।
मृगतृष्णा के चक्कर में चलते चलते खुद मर जाने हैं।

लौट सकूँ न घर भी वापस दुनियाँ के तानें कौन सुनेगा।
क्या झूठी थी मेरी प्यार मुहब्बत झूठे ही मेरे नजराने हैं।

खुद से प्यार किया होता तो शायद मैं भी तन्हा न होता
अब यादों में जीना है मुझको दिल को ऐसे ही बहलाने हैं।

मेरी यारी है अब तन्हाई से ये दूर दूर तक वीराने हैं।
सागर में उठती लहरों से ग़म के केवल अफ़साने हैं।

प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला।


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3 JAN 2020 AT 15:17

दूर दूर तक
कोई नहीं मिला
जो मिला अपना
उसने दिया गैरो का सिला

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3 JAN 2020 AT 14:50

दूर दूर तक अब अपना कोई नजर नहीं आता
ये कैसा सैलाब है कि दिल भीग भी नहीं पाता

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