तू जहाँ आया है, वो तेरा घर नहीं, गाँव नहीं, गली नहीं, कूचा नहीं, रस्ता नहीं, बस्ती नहीं, दुनिया है!
और प्यारे, दुनिया यह एक सरकस है और इस सरकस में बड़े को भी, छोटे को भी, खरे को भी, खोटे को भी, मोटे को भी, पतले को भी, नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को बराबर आना-जाना पड़ता है।
-