मुझे जरूरत नहीं
बनाये थे जो ख्वाब में हमनें, इस प्यार की तो वो मूरत नहीं।
गिला है तुमको ये निशानी, ताजमहल सी खूबसूरत नहीं।
मरती थी न मुझपे तुम भी, फिर ये बदला हुआ रंग क्यूँ
इजहार कहीं इकरार कहीं, ऐसे प्यार की हमें हसरत नहीं।
खर्च किया मैंनें खुद को तुझपे, पर तुम्हे गंवारा ना हुआ
ना हो कद्र जहाँ हमदम का, फिर वो असली मोहब्बत नहीं।
वादा करके जिंदगी साथ बिताने का, अब यूँ मुकर रही हो
नींव में खोखलें वादे हों गर, फिर तो मजबूत वो इमारत नहीं।
नसीब में ही नहीं तू शायद, मांगा तो था दिन रात खुदा से
अब नहीं सजदा किसी दर पे, तू नहीं तो तेरी इबादत नहीं।
तुम्हें कोई और पसंद है, जाओ खुश रहना उसके साथ
तुझे अब मेरी जरूरत नहीं, तो मुझे तेरी जरूरत नहीं।
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