इश्क़ में बोलना नदारद सी होगयी है,बोल के भी न बोल पाना आदत सी हो गयी है,एक अकेला नैन ही तो है,जो सारी गुफ़्तगू कर लेता है,अच्छा हुआ नियत बेशर्म से सराफत सी हो गयी है।
चुप रहकर भि बोल जाता जैसे तुम्हारे नैन... बिना तैरते भि उस पार चला जाता जैसे सागर बेचैन.. हम नाराज यहा होते, उनकी छिन जाती निंद सुख और चैन..... यू नैनो से नैन मिलाके बाते होती खूब...... लब्स रहते खामोश वो हमारा हाल जाती पूछ... शूरू हुई जब दो नैनन की कहनी... कम पडने लगी घडी तब, जब रूह से बात हुई रूहानी.....
चुप रह कर भी बहुत कुछ बोल जाते हैं नैन कभी खुशी, कभी ग़म, कभी रुसवाई झलकाते नैन आवाज़ कानों की मिश्री,तो दिल का चैन चुराते नैन मिलन की घड़ी में आँखे चार करातेे नैन