"मुश्किलों में
निखर जाना, टुटकर ना
बिखर जाना.आनंद लो हर
दौर का पर हालात रहते सुधर जाना.
किसी का ना
ये ठिकाना, सबको है आना
और जाना.मीठे शब्दों से जीत लो मन,
अपनों को देख ठहर जाना.
मिट्टी की खुश्बू
सुहानी, ये हवाएं भी है रूहानी.
क्यों छोड़ अपनी मातृभूमी, है हर
किसी को शहर जाना.."
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