कमरे की वो खिडकी में देखो
खिड़की से आसमान सारा दूर
कभी सब लगे पास है
वो चाँद, तारे सूरज रोज ही आते
अपने वक्त पे आते जाते
नित अपना अपना कर्म करते
सोचो सूरज ना आया तो,
चांद दिन में भी ना गया तो,
तारे जगमगाते आये ही नही तो,
बादल कही छुपकर बैठे तो,
बारिश ना आयी तो,
सब अपने वक्त पे आते जाते,
हम सब है आभारी उनके
हमें जीना वो सिखाते,
नित अपना नेक कर्म करते रहो
अपने राह पे चलते रहो
कभी फुर्सत में देखो उस कमरे की खिड़की से
सारा खुला आसमान जीना सिखाता है
हौसला जीने का देता है
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