QUOTES ON #कमराखिड़कीआसमान

#कमराखिड़कीआसमान quotes

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20 MAY 2018 AT 21:45

मेरे कमरे के खिड़की में से
जो आसमान दिखाई देता है न
वो रंग बदलता है
कभी नीला कभी लाल
तो कभी बादलों से काला पड़ जाता है
यही नहीं
मेरे कमरे के खिड़की में से
जो चाँद भी दिखाई देता है न
वो आकार बदलता है
कभी पूरा कभी आधा
तो कभी गायब हो जाता है
बदला नहीं तो बस
वो खिड़की और कमरा
और मेरी तन्हाई...

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20 MAY 2018 AT 22:08

Love(n).
a sensation felt without being
touched and
understood without being seen.

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21 MAY 2018 AT 7:34

"औरतें
किसी कमरे की
उन दीवारों के जैसी
होती है,
जिनमें लगी खिड़कियों
को,.....न उन्हें खोलने की
इजाजत होती है
न बंद रखने की ....
वो उम्र भर ऐसे ही आँखों
पर पट्टी बांधकर
ढूंढ़ती रहती है अपना आसमान!
बस एक बार उसे छू
देने के लिए।।।"

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21 MAY 2018 AT 15:45

मेरे कमरे में
खिड़कियाँ नहीं हैं
बंद बंद
घुटन दे जाता है....
(पूरी कविता अनुशीर्षक में)

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20 MAY 2018 AT 22:53

कमरे की खाली दीवारें ,
तुम्हारी तस्वीर का इंतजार करती,
खिड़की के पर्दे उड़ -उड़ कर ,
तुम्हारे पल्लू की तरह लग रहे,
जब खिड़की से झांक कर ,
आसमान देखा तो ऐसा लगा,
वो भी मेरी किस्मत पर हंस रहा है......

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21 MAY 2018 AT 9:58

कमरे की वो खिडकी में देखो
खिड़की से आसमान सारा दूर
कभी सब लगे पास है
वो चाँद, तारे सूरज रोज ही आते
अपने वक्त पे आते जाते
नित अपना अपना कर्म करते
सोचो सूरज ना आया तो,
चांद दिन में भी ना गया तो,
तारे जगमगाते आये ही नही तो,
बादल कही छुपकर बैठे तो,
बारिश ना आयी तो,
सब अपने वक्त पे आते जाते,
हम सब है आभारी उनके
हमें जीना वो सिखाते,
नित अपना नेक कर्म करते रहो
अपने राह पे चलते रहो
कभी फुर्सत में देखो उस कमरे की खिड़की से
सारा खुला आसमान जीना सिखाता है
हौसला जीने का देता है

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21 MAY 2018 AT 9:38

कमरे की खिड़की से आसमान में चुपके से उस चांद को देखते हो
उसकी चाहत में दिवाना होकर शायरी लिखते हो।

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21 MAY 2018 AT 1:42

कमरा वही था, बिन दीवारों का,
और खिड़की से वही आसमान पे
चाँद जैसी रोटी..

सोच भी वही थी,
कि अबकी बारिश हुई तो,
थोड़ी आग होगी पूस की रात में भी..

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20 MAY 2018 AT 22:49

अलग अलग कमरों की
अलग अलग खिड़कियों ने
अपनी फ्रेम के आकार में
एक ही आसमान के
अलग अलग टुकड़े चुन रखे हैं
कुछ इस तरह से बेघर आसमान
ज़मीं के घरों में महफ़ूज़ है
या यूँ कह लें कि
कुछ इस तरह से आज़ाद आसमान
ज़मीं के घरों में क़ैद है
या यूँ कह लें कि
कुछ इस तरह से
एक मज़बूत इंसानियत
ज़मीं के घरों में
जाने कौन-कौन से नामों से
जाने कौन-कौन से रंगों-मज़ाहिब से
जाने कौन-कौन से मुल्कों से
टुकड़े टुकड़े हो चुकी है

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17 MAR 2021 AT 16:17

दीवारें सिरफ कमरों
की ही नहीं होतीं।।

कई कबार दीवारें सोच
की भी हो जाती हैं।।


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