मसाला पाने को अधीर,
उड़ाते अफवाहों के तीर।
समझते ना दूसरों की पीर,
उड़ाते अफवाहों के तीर।
बनाने सम्मान के धनी को फ़कीर,
उड़ाते अफवाहों के तीर।
खींचने समाज को बांटने की लकीर,
उड़ाते अफवाहों की तीर।
तथाकथित विचारों के अमीर,
उड़ाते अफवाहों के तीर।
मर चुका इनका ज़मीर,
उड़ाते अफवाहों के तीर।
― शैलज
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